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कुछ उपयोगी यंत्र और ताबीज

कुछ उपयोगी यंत्र और ताबीज ,


मन्त्रों की भांति ही यन्त्र भी बड़े प्रभावशाली होते हैं । कुछ यन्त्रों के साथ मन्त्र भी होते हैं और केवल अङ्गात्मक यन्त्र होते हैं । विभिन्न यन्त्र विभिन्न कार्यों की सिद्धि और रोग निवृति श्रादि के लिये काम में लाये जाते हैं । 

प्रत्येक यन्त्र साधारण तथा भोज पत्र पर अष्टगन्ध से लिख कर तांबे के तावीज में भर कर गुग्गुल का धूप देकर स्त्रियों के बायें हाथ या गले में एवं पुरुषों के दाहिने हाथ या गले में बांधा जाता है । मन्त्रात्मक यन्त्र को तो चंद्रग्रह ग्रहण और सुर्य ग्रहण के समय मन्त्र का कम - से कम १०८ बार जप करके मन्त्र का पूजन कर लेना चाहिये ।

 केवल यन्त्र हो तो उसका पूजन मात्र कर लेना चाहिये । विश्वास पूर्वक इनका सेवन करने से लाभ होता है । यहां ऐस ही कुछ यन्त्र दिये जाते हैं ।


सर्प , चोर , निशाचर , शत्रु , ग्रह , भूत - पिशाच के भय से बचने तथा विषम ज्वर और विपत्ति - नाश के लिए इस चौतीसा यन्त्र को सूर्य ग्रहण , चन्द्र ग्रहण या दीपावली की रात्रि को ३४ बार लिखकर सिद्ध करले । सफेद कागज या भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगन्ध - ( सफ़ेद चन्दन , लाल चन्दन , केसर , कुकुम , कपर , कस्तूरी , अगर , तगर ) के



द्वारा लिखे । इससे यन्त्र सिद्ध हो जायेगा शीघ्र सिद्ध करना हो तो शनिवार के दिन १०८ बार उपर्युक्त प्रकार से लिखे और धोबी घाट पर बैठकर एक - एक बार लिखकर यन्त्र धोत्री घाट से भरे कुड के जल में डालता जाय । 
फिर उन १०८ यन्त्रों को इकट्ठा करके बहते जल में वहादे । तदनन्तर पुनः भोजपत्र पर उपर्युक्त प्रकार से लिखकर धूप देकर गले में बांध दे ।


गर्भ धारण के लिए।


पुत्र प्राप्ति के लिए


देवी को प्रसन्न करने के लिये और किसी भी रोग को दूर करने ले लिए




इसमें ३४ और १५ का यन्त्र है । १५ के यन्त्र में भगवती का नवार्णमन्त्र है । ऐसे यन्त्र बना कर उसमें इस मन्त्र को १०८ बार लिखने से मन्त्र सिद्ध होता है ।
 फिर लिखकर रोगी को देना चाहिये तथा तांबे के ताबीज में डालकर गुग्गुल का धूप देकर पुरुष के दाहिनी और स्त्री के वायीं भुजा में बांध देना चाहिये ।




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