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बुरे सपने देखने का निवारण और भूत भागने का मंत्र

बुरे सपने देखने का निवारण 


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दुःस्वप्न, - दोष निवारण मन्त्र


ॐअच्युतं केशवं विष्णुहरिं सत्यं जनार्दनम् ।
हसं नारायणं चेत्रो  तन्नामाष्टकं शुभम् ॥


शुचिः पूर्व मुखः प्राज्ञो दशकृत्वश्चयो जपेत् ।
निष्पापोऽपि भवेत्सोऽपि दुःस्वप्नःशुभवान्भवेत् ॥


अच्युत , केशव , विष्णु , हरि , सत्य जनार्दन , हंस और नारायण

 इन आठ नामों का शुद्ध हो कर पूर्व मुख बैठ कर दस बार जप करने से दुःस्वप्न शुभकारक हो जाता है ।


ॐनमः शिवं दुर्गा गणपति कार्तिकेयं दिनेश्वरम् ।
धर्म गङ्गांच तुलसी राधां लक्ष्मी सरस्वतीम् ॥


नामा न्येतानि भद्राणि जले स्नात्वा चयो जपेत् ।
वाञ्छितं च लभेत् सोऽपिदुःस्वप्नः शुभवान - भवेत् ॥


शिव , दुर्गा , गणपति , कार्तिकेय , सूर्य , धर्म गंगा तुलसी , राधा , लक्ष्मी , सरस्वती । जल से स्नान करके इन ग्यारह नामों का उच्चारण करके नमस्कार करने से दुस्सह स्वप्न शुभकारक होता है और वाञ्छित फल देता है ।


ॐहीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा ।
कल्प वृक्षति लोकानां मन्त्रा सप्तदशाक्षरः ।
शुचिश्च दशधाजपत्ता दुःस्वप्नः सुखवान् भवेत् ।

उपर्युक्त मन्त्र का पवित्र होकर दसबार जप करने से दुःस्वप्न सुख देने वाला हो जाता है । गजेन्द्र - स्तुति - पाठ से भी दुःस्वप्न दोष का नाश होता है ।



 भूत - प्रेत बाधा एवं गाय की पशुरोग से निवृत्ति के लिये


स्थाने हृपी केश तव प्रकार्तीय जगत हृष्यत्य नुरज्यतेच ॥ रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति - सर्वेनमस्यन्तिच सिद्ध संधाः ॥   
                                                                                                 (श्रीमद्भागवद् गीता ११ ॥ ३६ )

इस मन्त्र को सिद्ध करने के लिये ३००० जप करे - इस के बाद जब कभी आवश्यकता हो , किसी में भूत प्रेत का श्रावेश होने पर मिट्टी के किसी शुद्धं पात्र या वर्तन में गङ्गाजल या कुएं का जल लेकर सात बार मन्त्र बोलकर उसमें दाहिने हाथ की तर्जनी अगुली फिरादे फिर उस जल में से थोड़ा सा रोगी को पिलादे वाकी उसके सारे अङ्गों पर और सारे स्थान पर छिड़कदे ।
 जब तक रोगी की प्रेत बाधा का नाश न हो , तब तक प्रतिदिन दो बार इस प्रयोग को करते रहें । इसी प्रकार अभिमन्त्रित जल को सानी के साथ मिलाकर या किसी प्रकार भी गाय को पिला देने पर उसकी . ' पशु - रोग ' से रक्षा हो जाती है

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